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Saturday 4 April 2015

चलते चलाते - 1

'सैर कर दुनिया की गाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहां' तो इसको मद्देनज़र रखते हुए हम यात्राएं करते रहते हैं। कभी छोटी कभी लम्बी। और इस कहावत को बदल के कहें तो 'सेल्फी ले ले दुनिया की गाफ़िल याददाश्त फिर कहाँ' तो इसको मद्देनज़र रखते हुए फ़ोटो खींचते रहते हैं। 

पिछली लम्बी यात्रा थी लगभग 5000 किमी जो सितम्बर 14 में कार से की - बेंगलूरू > कन्याकुमारी > गोवा > दिल्ली। इस यात्रा के 44 फोटो-ब्लाग  'Long drive to Delhi'  के अंतर्गत आप देख सकते हैं।

इन छोटी बड़ी यात्राओं के दौरान बहुत सी फ़ोटो खींचीं कभी चलती गाड़ी से और कभी रूक कर। उन फ़ोटो में से कुछ यहाँ प्रस्तुत हैं पर इनमें कोई क्रम नहीं है, कोई विषय नहीं है मानों भानमती के पिटारे से निकली हुई हों। इन्हें तीन-तीन का ग्रुप बनाकर पेश किया जा रहा है उम्मीद है पसंद आएँगीं।


 यह फ़ोटो कन्याकुमारी की है जहां भारत का दक्षिणी छोर, बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिन्द महासागर का संगम होता है। इसलिए यहाँ वो गीत याद आता है - 'लो आसमां झुक रहा है ज़मीं पर, ये मिलन हमने देखा यहीं पर'

केरल का एक हराभरा सुंदर राजमार्ग। केरल में ज़्यादातर सड़कें इसी प्रकार सुंदर हैं पर चार लेन की सड़कें कम हैं और गाड़ी की स्पीड ज़्यादा नही हो पाती। पर फिकरनाट धीरे चलाएं और सीनरी का आनंद लें

 त्रिचूर के रास्ते में खींची फ़ोटो। केरल के मंदिर, मस्जिद और चर्च साफ़ सुथरे, सुंदर और सुव्यवस्थित हैं। और इनकी वास्तु कला में भी काफ़ी नयापन और विभिन्नता है




1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/04/1.html