Pages

Saturday 30 May 2015

भगदड़

Two things are infinite: the universe and human stupidity. And I am not sure about universe - Albert Einstein


भारत में मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और चर्चों की संख्या के कोई सरकारी आँकड़े नहीं मिलते। इन इमारतों की अलग से रजिस्टर करने की कोई प्रथा नहीं है न ही कोई नियम है। चर्च की संख्या हज़ारों में हो सकती है क्यूँकि अंग्रेज़ों के जाने के बाद कोई विशेष बढ़ोतरी नहीं हुई होगी। पर मसजिदें काफ़ी ज्यादा होंगी शायद लाखों में हों। मंदिरों की संख्या शायद दस लाख से ऊपर ही होगी।

भारत में छै लाख से ज्यादा गाँव हैं, पाँच हज़ार छोटे शहर हैं और चार सौ बड़े शहर हैं और इन सब में सवा सौ करोड़ लोग समाए हुए हैं। इतनी बड़ी जनसंख्या और भौगोलिक फैलाव वाले देश में दस पंद्रह लाख मंदिर ज्यादा नहीं हैं। चाहे बिजली पानी सब तक न पहुँचा हो पर धर्म हर नुक्कड़ हर गली में किसी न किसी रूप में पहुँचा हुआ है। और धर्म की विभिन्नता के साथ देश के कोने कोने में कई तरह की मान्यताएं, कर्म काण्ड, पूजा पाठ की विधियाँ, भ्रांतियाँ, जादू टोने और अंधविश्वास भी ख़ूब पहुँचे हुए हैं। बाबा, गुरू, गुरुदेव और गुरूघंटाल भी दूर दूर तक फैले हुए हैं।

फ़िल्म इंडस्ट्री, बैंकिंग इंडस्ट्री, सीमेंट इंडस्ट्री की तरह धार्मिक इंडस्ट्री भी चल रही है। भक्तों और अंधभक्तों की भारी भीड़ है। दान देने वालों की कमी नहीं क्यूँकि इस इंडस्ट्री में काले या सफेद धन का झंझट नहीं है। बिचौलियों की कमी नहीं है। साथ ही आम आदमी की ख़्वाहिशों में कमी नहीं है इसलिए इस इंडस्ट्री के अच्छे दिन चल रहे हैं। 

धार्मिक संगठन हैं जिसमें और इंडस्ट्री की तरह CEO हैं, जनरल मैनेजर हैं, मैनेजर हैं, सफ़ेदपोश वर्कर हैं और नीलपोश मज़दूर भी हैं। किताबें, मैगज़ीन, वीडियो बनते और छपते हैं। चूरन, दवाइयाँ, तेल और साबुन भी बनवाए जाते हैं। जन्म कुण्डली, हस्त रेखा और ग्रह जनता के दिमाग़ को घुमा रहे हैं। टीवी चैनल हैं और अख़बारों में विज्ञापन हैं। पर कभी कभी इस इंडस्ट्री में भी भूचाल आ जाता है। 

नीचे दिए गए आँकड़े इंटरनेट से लिए गए हैं। इस तरह के आँकड़े और भी होंगे। घायल भी बहुत हुए होंगे और दुर्घटना के कारण भी रहे होंगे। हर दुर्घटना के बाद जांच पड़ताल भी हुई होगी और कुछ मुआवज़ा भी दिया गया होगा और फ़ाइलें रद्दी में फेंक दी गई होंगी :

- 03-02-1954 कुम्भ मेले में भगदड़ मच गई और लगभग 800 लोग मरे। 
- 23-11-1994 गोवारी आदिवासियों पर नागपुर पुलिस ने लाठी चलाई और भीड़ में भगदड़ मच गई। 114 लोग मारे गए। 
- 15-07-1996 भगदड़ की दो वारदातें हुईं : हरिद्वार में 21 लोग मारे गए और उज्जैन में 39 लोग। 
- 14-01-1999 मकर ज्योति के दिन पामबा, केरल में भगदड़ मच गई जिसमें 53 लोग मरे। 
- 25-01-2005 मंधेर देवी मंदिर ज़िला सतारा, महाराष्ट्र में पूर्णिमा के दिन मची भगदड़ में 291 लोगों की जानें गई। 
- 03-08-2008 नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश में भगदड़ के कारण 146 तीर्थ यात्री मारे गए। 
- 30-09-2008 चामुण्डा देवी मंदिर जोधपुर, राजस्थान में भगदड़ मच गई । 224 लोगों की जानें गई। 
- 04-03-2010 क्रिपालु महाराज आश्रम, कुण्डा, ज़िला प्रताप गढ़ उत्तर प्रदेश में भगदड़ के कारण 63 लोग जान गवाँ बैठे। 
14-01-2011 मकर ज्योति के दिन पुल्लूमेदू , सबरीमाला, केरल में भगदड़ मच गई और 106 लोग मारे गए। 
- 24-09-2012 सत्संग देवघर, झारखंड में हुई भगदड़ में 12 लोग मारे गए। 
- 13-02-2013 कुम्भ मेला इलाहाबाद में भगदड़ मची और 36 लोग मारे गए। 
- 13-10-2013 नवरात्रों में पुल पर जो रतनगढ़ माता मंदिर के नज़दीक है, भगदड़ मच गई और 115 लोग जान गवाँ बैठे। 
- 08-01-2014 मालाबार हिल, मुम्बई में सैयदना मोहम्मद बुरहान्नुद्दीन के अंतिम दर्शन के समय भगदड़ में 18 लोग मरे।
- 03-10-2014 दशहरे के मेले में गांधी मैदान पटना में भगदड़ मची और 32 लोग मारे गए। 

इनक्वायरी कमीशन तो इस पर भी बैठना चाहिए की किस भ्रम में थे ये ग़रीब मरने वाले ?
क्या इच्छा या मान्यता लेकर जा रहे थे ये लोग और क्यूँ ? 
किसने बरगलाया इन्हें कि इन्हीं मंदिरों में जाकर क़िस्मत चमकेगी ?

बिना पुरुषार्थ के कुछ होने वाला नहीं है। बिना अपने अंदर झाँके ज्ञान मिलने वाला नहीं है। 

अंधेरे से उजाले की ओर चलें 


No comments: