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Wednesday 30 December 2015

झूले लाल मंदिर, जयपुर

झूले लाल जलदेवता वरुण के अवतार माने जाते हैं. उनका अवतरण सिन्धी हिन्दुओं का उद्धार करने के लिए हुआ था. उन दिनों सिंध में एक बेरहम राजा मिरख शाह का राज था. प्रजा पर अत्याचार हो रहे थे और धर्मंतारण कराया जा रहा था. सिन्धी समाज ने सिन्धु नदी के किनारे 40 दिन तक तपस्या की. फिर नदी में मत्स्य पर भगवान झूले लाल प्रकट हुए और आश्वासन दिया कि जल्द ही स्थिति का निवारण कर देंगे.

चैत्र याने अप्रैल 1007 में झूले लाल ने नसरपुर, सिंध प्रदेश में जन्म लिया. उनकी माता का नाम देवकी और पिता का नाम रतन राय था. बालक का नाम उदेरो लाल रखा गया. झूले में ही बालक ने विलक्षण प्रतिभा दिखाई इसलिए बाद में झूले लाल या लाल साईं कहलाए. उनके अन्य नाम हैं - घोड़ेवारो, पल्लेवारो, ज्योतिवारो और अमर लाल. मुस्लिम भक्तों की ओर से नाम है पीर जिन्दाह.

बालक उदेरो की चर्चा शाह के दरबार में भी पहुंची और बालक को तलब किया गया. शाह के दरबार में सिपाहियों ने उदेरो को पकड़ने की बड़ी कोशिश की पर बालक हाथ ना आया. शाह ने चमत्कार देख बालक उदेरो से माफ़ी मांगी और सभी लोगों से अच्छा व्यवहार करने का वादा किया.

भगवान झूले लाल का अवतरण दिवस 'चेती चंड' के रूप में मनाया जाता है. इस दिन झूले लाल जी के सम्मान में शोभा यात्रा निकली जाती है, भजन गाए जाते हैं और लोक नृत्य भी होते हैं. भगवान झूले लाल का वाहन मछली है जो ताजे पानी की 'पालो' मछली है और सिन्धु नदी में पाई जाती है.

झूले लाल जी मंदिर, जयपुर की कुछ फोटो:

जेको चवेंदो झूले लाल, तहेंजा बेड़ा पार, बेड़ा पार, सदा बहार !
इश्वर अल्लाह हिक आहे, सजि सृष्टि हिक आहे एं असां सभ हिक परिवार आहियू  
सभनी हद खुशहाली हुजे 
लाल साईं  (इन्टरनेट से लिया गया चित्र )



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