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Friday 16 June 2017

महंगा मोबाइल

चीफ साब बैंक जाने के लिए तैयार खड़े थे. उनके मोटे पेट पर लाल टाई इत्मीनान से सजी हुई थी. पिछले सन्डे को ही चीफ साब ने अपने बचे खुचे बालों की झालर पर काला रंग चढ़ाया था. ड्राईवर ने बैंक की गाड़ी चमका दी थी. ब्रीफकेस और लंच का डब्बा रख कर इंतज़ार कर रहा था. पर साब तो तभी निकल सकते हैं जबकि उनकी चंद्रमुखी इस बात की आज्ञा दे. 

- आज जरूरी मीटिंग है चंद्रमुखी इसलिए आज तुम्हारे मोबाइल की शौपिंग नहीं हो सकती. जाना जरूरी है. कल चलेंगे और ले लेंगे. एक ही दिन की तो बात है. 
- अच्छा! यूँ मत कहो. समझते नहीं हो कोई सहेली आ गई और हाथ में सुंदर सा मोबाइल ना हुआ तो? हाथ में होना जरूरी है चाहे चले या ना चले समझे. अपने वाला दे दो?
- क्या बात कर रही हो! नौकरी करने दोगी या नहीं?
- मुझे नहीं पता तुम्हारी मीटिंग शीटिंग का. दोपहर को गाड़ी भेज देना. कमलेश के साथ मोबाइल देख कर आती हूँ. पसंद कर लूंगी तुम लेते आना. 
- चलो महतो को बोल देता हूँ दोपहर को गाड़ी ले आएगा. चले जाना. जल्दी फ्री हो गया तो आज नहीं तो कल ठीक है ?
- हुंह! 

मैडम ने कमलेश को फोन करके प्रोग्राम बना लिया. गाड़ी आई तो दोनों मॉल पहुँच गईं. बहुत सारे मॉडल देखे मोबाइल फोन के. फिर दूसरी मोबाइल शॉप की ओर प्रस्थान कर दिया. दूसरी दुकान में ज्यादा रश था. दुकानदार महिलाओं के देखकर तपाक से बोला,

- आइये मैडम आइये. इस तरफ आ जाइए. कौन सा मॉडल दिखाऊं?
- हमें तो बढ़िया वाला दिखाइये.
- कितना बजट है मैडम?
- कमाल है अब तक तो कुछ दिखाया भी नहीं और पूछ रहे हैं बजट कितना है?
- मैडम आपको बढ़िया वाला ही दूंगा जी जो आपकी पर्सनेलिटी को सूट करे. कोई ऐरा गैरा मॉडल थोड़ा ही देना है आपको!
- हाँ हाँ  बिलकुल बढ़िया ही लेंगे. हो सकता है की 50 हज़ार का ही ले लें. ये तो पसंद आने की बात है ( हमारे साब झुमरी तलैय्या बैंक के चीफ ऐसे ही थोड़ी हैं. पागल कहीं का ! ).
- जी जी बिलकुल सही कहा आपने. ये देखिये... और यह भी देखिये...छोटे दो ठन्डे लाना.
- ये वाला सुंदर है. है ना कमलेश?
- वाकई सुंदर है मिसेज़ चंद्रमुखी. पर भाई साहब को बता तो दो.
- ओ हो कमलेश! भाई साब मना थोड़ा ही कर सकते हैं! पसन्द कर लिया सो कर लिया. थैंक्यू भैया साब आते ही होंगे उनको बस मॉडल नंबर भेजना है. तब तक हम गोलगप्पे खा के आते हैं.

दोनों बतियाते हुए बाहर निकली गोलगप्पे वाले की तलाश में. पर पीछे से एक लड़के ने झपट कर मैडम का पर्स छीन लिया और पतली गली में भाग लिया. दोनों मैडम सकपका गईं. फिर कमलेश मैडम चिल्लाई,
- ले गया..ले गया.. पकड़ो पकड़ो!!

हल्ला मच गया और लोग इकट्ठा हो गए. एक जवान छोरा मदद करने को तैयार हो गया. उसने भी गली में दौड़ लगा दी. आनन फानन में हांफता हुआ पर्स लेकर आ गया. हांफते हांफते बोला,
- मैडम ये लो .. ये लो..जी अपना पर्स. वो बदमाश पर्स फेंक कर बोला पांच सौ का मैला सा नोट इसमें पड़ा है और पचास हज़ार की बात करती है!

मैडम चंद्रमुखी का एक रंग आए एक जाए. माथे पर पसीना आ गया. इज्ज़त का कबाड़ा! तुरंत पार्किंग की ओर भागीं और गाड़ी में बैठ कर लम्बा साँस लिया. रास्ते में सोचती रही मैडम और सोच सोच कर इस नतीजे पर पहुंची की इस दुर्घटना के जिम्मेवार हैं चीफ साब. आज साथ आ जाते तो मोबाइल मिलता या ना मिलता पर इज्ज़त का कचरा तो न होता.

महंगे मोबाइल 





1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2017/06/blog-post_16.html